आज के समय में Climate Change सबसे बड़ी समस्या के रूप में हमारे सामने खड़ी है जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव Gen Z पर दिखाई दे रहा है जिसे Climate Anxiety के नाम से जाना जाता है. यह महामारी Gen Z के भविष्य, जीवनशैली आदि पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है. इस लेख में हम जानेंगे Gen Z और Climate Anxiety कैसे भविष्य को प्रभावित कर रही है? और इसका समाधान क्या है?
Gen Z कौन है ?
Gen Z या Generation Z उस पीढ़ी को कहा जाता है जो लगभग 1997 से 2012 के बीच में पैदा हुआ है. वर्तमान समय में 13-28 वर्ष के लोगो को जनरेशन Z या Gen Z कहा जाता है. यह पीढ़ी पहली डिजिटल नेटिव जो बचपन से ही इन्टरनेट, सोशल मीडिया और स्मार्ट फ़ोन से जुडी हुयी है. इस पीढ़ी को Mental Health, Environmental Conscious और Social Awareness को लेकर ज्यादा जागरूक पाया जाता है.
Climate Anxiety क्या होता है?
Climate Anxiety एक ऐसी मानसिक स्थिति होती है जिसमे कोई व्यक्ति जलवायु परिवर्तन को लेकर अधिक चिंताग्रस्त, डर, निराशा और असहाय महसूस करता है. Climate Anxiety एक पर्यावरण के साथ मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को भी प्रभावित कर रहा है. American Psychological association(APA) के अनुसार, जलवायु चिंता एक ऐसा मानसिक अनुभव है जिसे वे पर्यावरणीय विनाश का एक पुराना डर (A chronic fear of Environmental Doom) के रूप में परिभाषित किया है.

क्यों Climate Anxiety से सबसे ज्यादा Gen Z प्रभावित है?
Gen Z एक ऐसे युग में बड़ा हुआ है जहाँ जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अनुभव करता रहा है और इसके परिणामस्वरुप वह स्वयं को शक्तिहीन और अपर्याप्त महसूस करता है. Gen Z वैश्विक आबादी का लगभग 30% आबादी का हिस्सा है और इनमे 80% से ज्यादा युवा Climate Anxiety से प्रभावित पाए गए है.
एक इंटरनेशनल अध्ययन The Lancet Planetary Health(2021) के अनुसार, कुल 10 देशो के 16-25 वर्ष के लगभग 10,000 युवाओ में 59% युवाओ ने Climate Change को गहरी चिंता को अभिवक्त किया. Gen Z को अपने आस-पास हो रहे पारिस्थिकी संकटो के बारे में गहरी जानकारी होने के कारण उनमे पर्यावरणीय चिंता की भावना है.
अध्ययन के अनुसार, 75% युवाओ ने माना कि “भविष्य डरावना लगता है” और 45% युवाओ ने कहा कि जलवायु संकट उनकी दैनिक जीवन पर बुरा प्रभाव डाल रहा है. इस शोध के अनुसार, Climate Change केवल वैज्ञानिक मुद्दा नही रह गया बल्कि अब यह एक वैश्विक स्तर पर मानसिक और सामाजिक मुद्दा भी बन गया है.
1. अस्तित्व का खतरा
Gen Z में अस्तित्व के खतरे की भावना तेजी से बढ़ रही है। यह पीढ़ी अपने स्थानीय पर्यावरण और वैश्विक पारिस्थतिकी तंत्र में तेजी से हो रही विनाशकारी और अपरिवर्तनीय परिवर्तन को देख रहे है जैसे कि प्रतिदिन कई प्रजातियों का विलुप्त होना, जैव-विविधता की हानि, जंगलों में आग लगना, ग्लेशियर का पिघलना, समुद्र स्तर का बढ़ना, नदियों का सुखना, कई नदियों में बाढ़ आना, तापमान को हर साल रिकार्ड का तोड़ना आदि शामिल है। उन्हें लगता है कि जिस प्रकार पृथ्वी का क्षरण हो रहा है वह भविष्य में रहने लायक नही बचेगी. Gen Z की धारणा बन गई है कि उनका भविष्य उसने छिना जा रहा है और यही भावना उनमे अस्तित्व का खतरा (Existential Crisis) महसूस कराता है।
2. पीढ़ीगत संकट (Generational Crisis)
आज की Gen Z सिर्फ जलवायु संकट से ही नहीं बल्कि वह एक बहुस्तरीय, पीढ़ीगत संकट का भी सामना कर रही है। यह पीढ़ीगत संकट इतना व्यापक हो जाती है कि उनका सोच, जीवन, निर्णय और भविष्य सभी को प्रभावित करती है। सामाचारों, सोशल मीडिया पर जलवायु संकट से जुड़ी खबरें जैसे आग, बाढ़ व ग्लेशियर के बारे में जानकारी मिलने से Gen Z यह प्रश्न कर रहा है कि क्या पारंपरिक तरीकों से भविष्य की योजना बनाना अर्थपूर्ण है जैसे कि पेशेवर करियर बनाना, हाऊसिंग या परिवार शुरु करना आदि?
बढ़ती बेरोजगारी, गिग इकोनॉमी, मंहगी शिक्षा और घर बनाना इन कारणों से Gen Z में “कम अवसरों वाली दुनिया” मिलने की भावाना उठ रही है, जिसमें वे कड़ी मेहनत के बाद भी भविष्य में स्थायित्व का दावा नहीं कर पाते रहे। इन्हीं कारणों से Gen Z को लगता है कि उन्हें एक बिगड़ी हुई पृथ्वी विरासत में मिली है। युवा पीढ़ी जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अपनी जिम्मेदारी की गहरी भावना महसूस करते हैं लेकिन वह अपने कार्यों पर्याप्त न पाने पर अपराधबोध और शर्म की भावना से ग्रस्त हो जाते हैं। इन जिम्मेदारी की बोध उनमे थकान व व्यर्थता की भावना उत्पन्न करता है।
3. सरकारी पर भरोसे की कमी
Climate Change आज के समय में दुनिया की सबसे बड़ी समस्या है, यही कारण है कि Gen Z को सरकारों पर भरोसे की कमी पायी जाती है, उन्हें लगता है कि सरकार उनके भविष्य को गंम्भीरता से नही लेती है और सिर्फ दिखावटी समाधान देती है। Peris Agreement (2020), Greenwashing, Net-Zero जैसे नीतिया तो सरकारे चला रही है लेकिन इसका परिणाम दिखाई नही देता है बल्कि पर्यावरण में प्रदुषण बढ़ते ही जा रहा है। Gen Z को लगता है कि सरकारे उन्हें चुनाव के समय बस याद करती है जब नीतियाँ बनाने की बात आती है तो उनकी राय को अपरिपक्व या भावात्मक कह कर ख़ारिज कर दिया जाता है। इन्ही कारणों से जलवायु संकट (Climate Crisis) को लेकर Gen Z की आशाएं टूटती जा रही है और Climate Anxiety जैसे मानासिक समस्याओं का सामना करना पड़ रह है।
4. सोशल मीडिया से लगातार जानकारी
Gen Z डिजिटल मूल निवाशी होने के कारण लगातार सोशल मीडिया पर जलवायु संकट की खबरों तस्वींरो, वीडियो और आकड़ो को देखती रहती है जिससे इस पीढ़ी में जलवायु को लेकर जागरुकपता देखने को मिलता है। Instagram, Facebook, Twitter जैले प्लेटफ़ॉर्म पर हर दिन नई-नई जलवायु परिवर्तन से सम्बन्धित खबरे जैसे कि बर्फ का पीघलना, बाढ, जंगल में आग का लगना और मरते जानवरों की वीडियोज या फोटोज देखने से युवा पीढी मानानिक रूप से प्रभावित होता है जो उनकी आम दिनचर्या में भी दिखने लगता है।
वीडियोज या फोटोज देखकर युवा परेशान होते है लेकिन खुद को असहाय भी महसूस करते हैं उनमें यह प्रश्न उठने लगता है कि मैं क्या कर सकता हूँ? कही हमने बहुत देर तो नहीं कर दी? आदि और इन्ही सवालों से इनमे Climate Guilt का जन्म होता है जोकि Climate Anxiety का लक्षण है. कई बार दूसरों की जलवायु के प्रति सक्रियता को देखने पर भी यह हीन भावना उठने लगती है हालांकि हर बार यह जरूरी नहीं होता कि वह असल में Climate Activist या पर्यावरण के लिए कुछ कर रहा हो।
उदहारण के लिए वो Vegan हो गया, Zero Waste और Weekly Protest जाने वाले लोगों को देखकर Gen Z खुद पर शर्म या कमजोरी महसूस करने लगता है इसका परिणाम Climate Anxiety के रूप में सामने आता है। सोशल मीडिया पर कई लोग ऐसे होते है जो दिखावे की सक्रियता जैसे फोटोज साँझा करना, पर्यावरण की चिन्ता में Sad Stories डालना, वीडियोज शेयर करता है जिससे पर्यावरण में असली बदलाव कम होता है बल्कि दूसरों में इसका नकारात्मक प्रभाव जैसे मानसिक थकान, अवसाद, निराशा आदि का शिकार होने लगता है.

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Gert Z के Climate Anxiety का सामाधान क्या है?
सबसे पहले यह स्वीकारना होगा कि जलवायु परिवर्तन केवल एक सामाचार मात्र नहीं है बल्कि यह Gen Z के सामने भविष्य की असुरक्षा, अस्थिरता और फैसले की क्षमता में कमी व्यवस्था के टूटने का संकेत है. उनकी नाराजगी को केवल सात्वना से नही बल्कि उनको सुनकर, समझकर और कार्यवाही करके ही दूर किया जा सकता है।
Gen Z को सबसे ज्यादा दुःख तब होता है जब उन्हें यह महसूस होता है की सिस्टम उनका नहीं सुनता है जबकि समाधान इसी में है की इनकी आवाज को नितियों में शामिल किया जाये. Gen Z जानकारियों से परिपूर्ण पीढ़ी है इसलिए वह वास्तविक समाधान चाहती है और Greenwashing से परहेज करती है। इससे इनकी मानसिक स्थिति सुधरने के साथ-साथ एक नयी व्यवस्था के साथ खड़े होने का आत्मविश्वास का बढ़ता है.
प्रतिक्रिया: Gen Z क्या कर रही है?
Gen Z जलवायु परिवर्तन को लेकर हर जगह Instagram, YouTube पर पोस्ट, रील्स और विडियोज सांझा कर रही है जिससे अधिक जागरुकता फैल रही है। सोशल मीडिया पर #Caimatistrick, #Actonclimate और #There is no Planet B जैसे हैशटैग ट्रेंड कर चुकी है जोकि Gen Z की Climate Change को लेकर सक्रियता को दर्शाता है।
युवा योद्धा Greta Thunberg की बात तो उनकी Fridays For Future Strick में लाखों लोग शामिल हो रहे हैं। भारत की युवा रिधिमा पांडे, लिसीप्रिया और दिशा रवि जैसे जलवायु योद्धा Climate Change के खिलाफ कार्रवाई के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे है। Gen Z अब सवाल उठा रही है और सरकारों, कंपनियों और संगठनो से Greenwashing जैसे भ्रामक प्रणालियों को हटाने की मांग कर रही है.
