भारत में Extreme Heatwaves: खतरा आपकी सोच से ज्यादा बड़ा

एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत में Extreme Heatwaves का सबसे अधिक ख़तरा दिल्ली, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में रहने वाले लोगों को है। अप्रैल 2025 ने भारत में गर्मी के सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए। 9 अप्रैल को राजस्थान के बारमेर में तापमान 46.4°C तक पहुंचा जबकि दिल्ली ने उसी दिन 25.6°C के साथ पिछले तीन वर्षों की सबसे गर्म अप्रैल रात दर्ज की। इसके बाद 21 अप्रैल को दिल्ली में रात का पारा 26.2°C तक गया जो छह वर्षों में सबसे अधिक था। ये आंकड़े सिर्फ मौसम की रिपोर्ट नहीं बल्कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे का साक्ष्य हैं, जो आने वाले समय में हमारे स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और जीवनशैली पर गहरा असर डालेंगे।

भारत में Extreme Heatwaves का खतरा

प्रतिवर्ष भारत में Extreme Heatwaves का खतरा बढ़ता ही जा रहा है, सड़कों पर खड़े रहना भी किसी जलते भट्टी के अनुभव से कम नहीं है, खासकर 11 से 4 के बीच का समय हो रहा है। एयरकंडीशनर तक अब काम करना बन्द कर दिए है, ऐसे में जो मध्यम वर्ग से नीचे वाले जन-साधारण लोग है जिनको पंखे की हवा तक नसीब नहीं होता उनकी हालात की कल्पना करना बहुत डरावनी लगती है। आखिर पृथ्वी का तापमान किन कारणों से तेजी से बढ़ता जा रही है आइए इसपर विचार करते हैं,

1. जलवायु परिवर्तन 

जलवायु परिवर्तन या “Climate Change” कोई अब कोई दूर-दराज की बात नही है बल्कि वर्तमान समय में इस समस्या का सामना गंभीर रूप से किया जा रहा है। ग्रीनहाउस गैसो की मात्रा वायुमण्डल मे लगातार बढ़ती जा रही है जिससे धरती की औसत तापमान में वृद्धि हो रही है। यह गैसे सूर्य की गर्म किरणों को वायुमण्डल में ही रोक देती है और वातावरण को गर्म करती है। ग्रीन हाउस प्रभाव Extreme Heatwaves के मुख्यकारणों में से एक है।

2. जंगलो की कटाई 

जंगलो की अन्धाधुन कटाई से पृथ्वी की तापमान को संतुलित करने वाली प्राकृतिक व्यवस्था को कमजोर कर रही है, जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। पेड़ों को प्रकृति का वरदान कहा जाता है क्योकि ये प्रकृति द्वारा दिए गए कार्बन सिकों का एक मुख्य है, जो वायुमण्डल से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके हमें जीवनदायिनी ऑक्सीजन प्रदान करता है। प्राकृतिक कार्बन सिंको को बनाए रखना हमारे सुरक्षित भविष्य के लिए अत्यन्त आवश्यक है, इनके विनाश से तापमान को नियंत्रित कर पाना असम्भव है।

३) सूखा और जल की कमी 

दुनियाभर के देश वर्तमान समय में जलसंकट की समस्या का गम्भीर रुप से सामना कर रहा है। जल की कमी होने से मिट्टी की नमी भी घटने लगती है और जिससे गर्मी और अधिक महसूस होती है।

भारत में Extreme Heatwaves: कारण और समाधान पर पहल
भारत में Extreme Heatwaves जलवायु परिवर्तन के अस्तित्व को पुख्ता कर रहा है.

 

भारत में Extreme Heatwaves का प्रभाव

Extreme Heatwaves का प्रभाव बहुत ही खतरनाक रुपो में प्रकट हो रहा है, यह हमारे स्वास्थ्य के लिए प्रतिकूल होने के साथ-साथ जानलेवा भी साबित हो सकता है। यह हमारे जीवनशैली, स्वास्थ्य और अर्थव्यस्था को बुरी तरह प्रभावित करता है,

1. मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव

अक्सर सडकों, स्कूलो जैसे जगहों पर लोगो के बेहोश होने या चक्कर खाकर गिरते लोगो की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है, इसका कारण Extreme Heats waves होने की प्रबल सम्भावना होती हैI इसका प्रभाव सबसे ज्यादा बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओ प्रभाव पड़ता है। Extreme Heatwaves से हीट-स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन, चक्कर, थकान, बेहोशी और दिल, फेफड़ों जैसी जानलेवा बिमारियों का खतरा बढ़ रहा है।

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2. कृषिक्षेत्र पर प्रभाव 

Extreme Heatwaves सिर्फ स्वास्थ्य संबंधी समस्या नही है बल्कि यह अर्थव्यवस्था पर भी बुरा प्रभाव डाल रहा है, गेहुँ, चावल और सब्जियों की पैदावार के लिए अनुकूल वातारण की जरूरत होती है ज्यादा तापमान के कारण इनकी पैदावार में कमी से गिरावट हो रही है जो आगे चलकर भूखभरी जैसी बड़ी समस्या का रूप लेगी।

फसलों को पर्याप्त नमी की आवश्यकता होती है, मिट्टी की नमी कम होने से किसानों को ज्यादा सिंचाई करनी पड़ती है जिसका खर्च साधारण से ज्यादा होता है, ऐसे में सभी किसान साम्यर्थवान नहीं होते जो बड़ा खर्चा उठा सके, उनकी फसल पर्याप्त पानी और संसाधन ना मिलने से पूरी तरह खराब हो जाती है या बाजारों में उनके दाम कम मिलते है.

Extreme Heatwaves के कारण श्रमिकों की कार्यक्षमता में गिरावट होने लगती है जिससे उत्पादन घटता है और कम्पनियों का आउटपुट कम होने लगता है जिसके कारण श्रमिकों के आय की कटौती होती है, ऐसे में श्रमिक या गरीब और गरीब  होता जा रहा है और अमिर और अमीर होता जा रहा है जिसके वजह से देश में असमानता बढ़ने लगती है।

Extreme Heatwaves के कारण लोगो के घुमने की जगहों का चुनाव बदल रहा है ऐसे में लोग ठंडी जगहो पर पर्यटन करना ज्यादा पसंद करते हैं और राजस्थान, दिल्ली और अन्य गर्म जगहों पर जाने से कतराते है ऐसे जगहों पर पर्यटक संख्या में कमी होने लगती है जिसका नकारात्मक असर ट्रेवल एजेंसी,  होटलों और व्यापारो पर पड़ता है जो देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है।

Extreme Heatwaves बचाव के उपाय क्या है? 

Extreme Heatwaves से बचने लिए सीधी धुप में खासकर सुबह 11- 4PM के बीच बाहर जाने से बचे और अपने-आप को हाइड्रेटेड (दिनभर पानी, नींबू पानी, नारियल पानी पिएं) रखे. ऐसे समय में हल्के और ढीले कपड़े पहनें जैसे की सूती कपड़े और हल्के रंगों वाले कपड़ो का इस्तेमाल करे. अपने घरो को प्राकृतिक तरीको से ठंडा रखने का प्रयास करे. घर के बुजुर्ग, बच्चे और बीमार लोगों का विशेष ध्यान रखे क्योकि इनका इम्यून सिस्टम बाकियों की तुलना में कमजोर होता है जिससे Extreme Heatwaves इनको सबसे ज्यादा प्रभावित करता है.

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समुदायों और सरकारों को क्या कदम उठाना चाहिए?

स्थानीय समुदायों को शहरों में अधिक से अधिक पेड़ लगाना चाहिए और हरे-भरे जगहों का विस्तार करना चाहिए. स्कुल और कॉलेजों में जलवायु परिवर्तन से हो रहे विनाशाकरी प्रभावों की जानकारी को साँझा करना चाहिए साथ ही इसके समाधानों पर कदम उठाने के लिए जागरूक करना चाहिए. सरकरो को बच्चो के स्कूलों के समय को मौसम के साथ बदलना चाहिए जिससे उन्हें तेज गर्मी का सामना करना ना पड़े साथ ही हीट एक्शन ठोस योजना भी लागू करना चाहिए.

निष्कर्ष: भारत में Extreme Heatwaves अब एक मौसमी घटना से बढ़कर जलवायु परिवर्तन की ओर इशारा कर रहा है. जलवायु परिवर्तन को पूरी तरह से रोकना लगभग अब असंभव है परन्तु इसके प्रभावो को जरुर कम किया जा सकता है .समय आ गया है कि अब व्यक्तिगत, सामुदायिक और सरकारी स्तर पर ठोस कदम उठा जाय, अब की देरी मतलब हम अपने और आने वाले पीढियों के भविष्य को खतरे में डालना है. 

 

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